लेसोथो, एक छोटा लेकिन सामाजिक रूप से जटिल देश, अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित है। हाल के वर्षों में, NGO और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की उपस्थिति ने देश के सामाजिक, स्वास्थ्य और शिक्षा ढांचे में उल्लेखनीय परिवर्तन लाए हैं। जलवायु परिवर्तन, गरीबी, बाल विवाह और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जैसे मुद्दों के बीच, इन संगठनों की पहलें स्थानीय समुदायों के लिए जीवन रेखा बन चुकी हैं।
साल 2024 और 2025 में, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, USAID, World Bank और अन्य प्रमुख NGO द्वारा की जा रही परियोजनाएं डिजिटल समावेशन, महिला सशक्तिकरण और बाल सुरक्षा जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित हैं। ICT-आधारित समाधान और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा पहुँचाने की योजनाएं लेसोथो के सामाजिक ढांचे को नया आकार देने में लगी हैं। इसके अलावा, सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) के अनुरूप योजनाएं और सरकारी सहयोग से इन गतिविधियों का प्रभाव और भी बढ़ गया है।
इस लेख में हम लेसोथो में NGO और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की भूमिका, उनके द्वारा किए जा रहे उल्लेखनीय कार्यों और भविष्य में अपेक्षित प्रभावों की गहराई से चर्चा करेंगे।
लेसोथो में NGO की भूमिका और सामाजिक प्रभाव
लेसोथो में NGO का कार्यक्षेत्र स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला अधिकार, पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन तक फैला हुआ है। मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय, ये संगठन उन समुदायों तक सेवाएं पहुँचाते हैं जहाँ सरकार की पहुंच सीमित है।
CARE Lesotho, ActionAid, Save the Children जैसे संगठन स्कूल ड्रॉपआउट को कम करने, किशोरियों के लिए यौन और प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने और पोषण कार्यक्रम चलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इनके द्वारा चलाई जा रही महिला सशक्तिकरण पहलें जैसे स्वरोजगार प्रशिक्षण, माइक्रोफाइनेंस योजनाएं और नेतृत्व विकास प्रशिक्षण, ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं।
इसके अतिरिक्त, स्वास्थ्य के क्षेत्र में HIV/AIDS नियंत्रण कार्यक्रम, मोबाइल क्लिनिक और वैक्सीनेशन कैंप द्वारा लाखों लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाई जा रही हैं। इन प्रयासों से देश की जीवन प्रत्याशा में सुधार हुआ है और मातृ मृत्यु दर में कमी आई है।
अंतरराष्ट्रीय संगठनों की रणनीति और विकासात्मक योगदान
संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न निकाय जैसे UNDP, UNICEF, और WHO लेसोथो में स्थायी विकास के लिए बहुस्तरीय कार्यक्रम चला रहे हैं। इनमें जल प्रबंधन, डिजिटल शिक्षा, और युवाओं के लिए रोजगार प्रशिक्षण प्रमुख हैं।
यूएनडीपी ने हाल ही में ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा आधारित स्कूलों की स्थापना की है, जिससे न केवल ऊर्जा समस्या का समाधान हुआ है बल्कि बच्चों की पढ़ाई का स्तर भी बढ़ा है। UNICEF द्वारा चलाए जा रहे बाल सुरक्षा कार्यक्रमों ने बाल विवाह और बाल शोषण की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी लाई है।
विश्व बैंक और अफ्रीकी विकास बैंक जैसे संस्थानों द्वारा दी जा रही वित्तीय सहायता से ग्रामीण सड़कों, जल आपूर्ति और कृषि विकास योजनाओं को भी गति मिली है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बल मिला है और पलायन में भी कमी आई है।
ICT और डिजिटल समाधान: नई दिशा की ओर कदम
डिजिटल परिवर्तन के दौर में NGO और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं लेसोथो में डिजिटल समावेशन को प्राथमिकता दे रही हैं। ICT आधारित शिक्षण, स्वास्थ्य ट्रैकिंग ऐप्स और डिजिटल भुगतान प्रणाली ग्रामीण समुदायों में क्रांति ला रही हैं।
UNDP और स्थानीय NGO मिलकर ग्रामीण युवाओं को कोडिंग, ग्राफिक डिजाइन और डिजिटल मार्केटिंग जैसे विषयों में प्रशिक्षित कर रहे हैं। इससे न केवल युवा वर्ग रोजगार योग्य बन रहा है बल्कि स्थानीय डिजिटल उद्यमिता को भी बढ़ावा मिल रहा है।
डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली के तहत अब दूर-दराज के क्लिनिकों में ई-स्वास्थ्य कार्ड और टेलीमेडिसिन सेवाएं चालू की गई हैं। इससे महिलाओं और बुजुर्गों को समय पर इलाज मिलना संभव हुआ है।
महिलाओं के लिए जीवन बदलती पहलें
महिला सशक्तिकरण लेसोथो में NGO गतिविधियों का मुख्य केंद्र बन चुका है। महिला अधिकारों की सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, आर्थिक स्वतंत्रता और नेतृत्व विकास जैसे क्षेत्रों में इनकी भागीदारी अभूतपूर्व रही है।
ActionAid द्वारा चलाया गया “Women’s Rights Watch” प्रोजेक्ट ग्रामीण महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करता है और उन्हें कानूनी सहायता भी प्रदान करता है। साथ ही, माइक्रोक्रेडिट योजनाएं महिलाओं को छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए सशक्त बना रही हैं।
WHO और स्थानीय स्वास्थ्य संगठनों की मदद से महिलाओं के लिए मासिक स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन होता है, जिनमें गर्भवती महिलाओं को पोषण, स्वास्थ्य जांच और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त में मिलती हैं।
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बच्चों और किशोरों के लिए केंद्रित कार्यक्रम
लेसोथो में बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई नवाचार आधारित कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। Save the Children और UNICEF प्रमुख संस्थाएं हैं जो इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
‘Back to School’ अभियान के तहत स्कूली ड्रॉपआउट छात्रों की पहचान कर उन्हें पुनः शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा रहा है। किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता, आत्मरक्षा और यौन स्वास्थ्य की शिक्षा भी प्रदान की जा रही है।
बाल अधिकारों की रक्षा हेतु कानूनी जागरूकता अभियान, सामुदायिक रेडियो प्रोग्राम और बच्चों के लिए मनोसामाजिक समर्थन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इससे बच्चों की मानसिक भलाई और आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है।
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भविष्य की दिशा और दीर्घकालिक रणनीति
लेसोथो में NGO और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की सक्रियता ने देश की विकास प्रक्रिया को सशक्त बनाया है। हालांकि चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं, लेकिन दीर्घकालिक रणनीति और सरकार की सहभागिता से आशाजनक परिवर्तन संभव हैं।
इन संगठनों द्वारा आगामी वर्षों के लिए तैयार की गई योजनाओं में जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति, डिजिटल साक्षरता में वृद्धि, और बाल एवं मातृ मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर तक लाना शामिल है। साथ ही, सामाजिक जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक भागीदारी पर ज़ोर दिया जा रहा है।
स्थानीय युवाओं को NGO सेक्टर में प्रशिक्षित कर उन्हें भविष्य के सामाजिक नेताओं के रूप में तैयार करने की भी योजना है। इससे संगठनात्मक स्थिरता के साथ-साथ स्थानीय नेतृत्व भी मजबूत होगा
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